ग्लोबल वार्मिंग के धरती पर प्रभाव और खतरे - Global Warming in Hindi

ग्लोबल वार्मिंग के धरती पर प्रभाव और खतरे - Global Warming in Hindi

गलोबल वार्मिंग के प्रभाव - ग्लोबल वार्मिंग का संभावित प्रभाव अपार है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण औसतन ग्लोबल तापमान में वृद्धि होगी। इस वृद्धि के कारण ध्रुवो की बर्फ पिघल जाएगी और समुद्री जल का सत्र ऊचा उठेगा। यह संभावना है कि 2030 तक समुद्री जल का सत्र 18 सेंटीमीटर बढ़ जाएगा और 2090 तक यह 58 सेंटीमीटर तक बढ़ जाएगा। इससे निचले तटीय इलाकों में पानी भर जाएगा। इस तरह लाखों लोग नष्ट हो जाएंगे। इन क्षेत्र में तूफान से नुकसान की संभावना को भी बढ़ाएंगे। समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण बांग्लादेश, मिस्र, वियतनाम और मोजबीक इन खतरों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में बारिश कम होने की संभावना है। रेगिस्तानी और अर्ध-रेगिस्तानी इलाकों में पानी की भारी कमी हो सकती है। भयंकर तूफान की संभावना बढ़ जाएगी। ग्लोबल वार्मिंग के साथ जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए भी कई समस्याएं पैदा कर सकता है। तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आने से बांग्लादेश, भारत और चीन में भूमि और डेल्टा के बड़े मार्ग नष्ट हो जाएंगे। जरूरत से ज्यादा या कम बारिश से फसल की पैदावार और खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा। कुछ क्षेत्रों में यह बढ़ सकता है जबकि कुछ अन्य क्षेत्रों में फसल की पैदावार और खाद्य उत्पादन में कमी होगी। गर्म जलवायु परिस्थितियों में कीड़ों के प्रजनन में वृद्धि होगी और हानिकारक कीड़ों से फसलों को अधिक नुकसान होने की संभावना बढ़ जाएगी। यह संभावना है कि फसल के कई रोगजनक जीव फैलेंगे और फसल को नुकसान पहुंचाएंगे। सोके में वृद्धि के कारण, विभिन्न फसलों के लिए पानी की कमी होगी।

विज्ञानी ने पौधों और प्राणी पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों की भविष्यवाणी की है। ग्लोबल वार्मिंग का पौधों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा क्योंकि वे एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा सकते। इनका स्थानांतरण बीजो के द्वारा होता है। जलगाहो, मूँगे की पहाड़ीयो, ध्रुवीय महासागरों, मैंग्रोव वनों, और पारिस्थितिक प्रबंधों में रहने वाले जीवों पर ग्लोबल वार्मिंग का असर पड़ने की संभावना है। ग्लोबल वार्मिंग में परिवर्तन विभिन्न प्रजातियों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करेगा। सीमित तापमान सहिष्णुता वाली कुछ प्रजातियां लुप्त हो जाएंगी और बाकी की गिणती में गिरावट आएगी। कुछ जनजातियाँ अपने निवास स्थान की नई जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल ढल जाएंगी या जीवित रहने के लिए अन्य क्षेत्रों में चली जाएंगी। यह अनुमान लगाया जाता है कि ग्लोबल वार्मिंग से रोगजनक जीवों, फसलों के हानिकारक कीटों और नदीनो को फायदा होगा। ये हानिकारक जीव मनुष्यों, पशुओं और फसलों की स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा देंगे। ग्लोबल वार्मिंग के इन सभी संभावित प्रभावों से संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन मानव समाज, कृषि और जीवों के लिए गंभीर उलझनें पैदा कर सकता है।
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