लार्ड डलहौजी की लैप्स की नीति या हडप नीति क्या है?

1848 ई. से 1856 ई. का काल ब्रिटिश कालीन भारत के इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण मानाजाता है। लार्ड डलहोजी 1848 में भारत का गवर्नर जनरल बनकर आया था। लार्ड डलहोजी की मुख्य पहचान एक साम्राज्यवादी और सुधारक के रूप में की जाती है। उसने भारत में गवर्नर जनरल कापदभार संभालने के साथ ही नाम कमाने का दृढ़ निश्चय किया। लार्ड डलहोजी का मुख्य ध्यान अपने साम्राज्य की सीमा का विस्तार और कंपनी को सर्वोच्च करना था . लार्ड डलहोजी ने अपने उदेश्य को पुरे करने के लिए उचित या अनुचित साधनों का सहारा लिया था। डलहौजी ने इस सिद्धान्त पर कार्य किया किजिस भी प्रकार संभव हो सके, ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार किया जाये। उसने भारत के सभी प्रदेसो को अंग्रेजी राज्य में मिलाने के लिए निरंतर प्रयास किया। इस कारण से भारत के सभी लोग दुखी हो गये और इस कारण से बाद में देश में क्रांति हुई जिस कारण से भारत में से ब्रिटिश कंपनी का शासन खत्म हो गया।
लार्ड डलहौजी की लैप्स की नीति या हडप नीति क्या है?

लैप्स की नीति का अर्थ (Meaning)

लार्ड डलहौजी ने शांतिपूर्ण ढंग से अन्य भारतीय राज्यों को ब्रिटिशसाम्राज्य में विलीन करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने जिस नीति को अपनाया, उसे इतिहास में लैप्स की नीति या हडप नीति कहते है। हिन्दू परम्परा के अनुसार यदि कोई राजा निसंतान मर जाता है तो उसके गोद लिए हुए पुत्र को उसकी सम्पति का वारिस माना जाता था। भारतीय राजा भी इस परम्परा का पालन करते थे। भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के बाद भी इस परम्परा का पालन होता रहा। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1842 में कानून में बदलाव करके किया और कहा कि जिन राज्यों को अंग्रेजो का सरक्षण प्राप्त है उनको कंपनी से मुखिया से ओपचारिक मान्यता लेनी होगी। उसने  इस नीति के अनुसार उन सन्तानहीन देशी नरेशों को जो कंपनी के अधीन थे अथवा जिनका अस्तित्व कंपनी के कारण हुआ था अथवा जो कंपनी पर निर्भर थे, उन सभी को पुत्र गोद लेने की आज्ञा नहीं देकर उनके राज्य को कंपनी के राज्य में शामिल करने का निणर्य लिया गया। डलहौजी ने यह अधिकार केवल उन राज्यों को देना उचित समझा जिनसे वर्तमान तथा भविष्य में राजनीतिक लाभ उठाये जा सकते थे। यदि किसी राजा का औरस पुत्र नहीं होता था तो वह अपने दत्तक पुत्र को अपना राज्य नहीं दे सकता था और उसका राज्य ब्रिटिश राज्य में मिला लिया जाता था। लार्ड डलहोजी ने भारत में आते ही सारे भारत का मूल्याकन किया था। लार्ड डलहोजी के आने से पहले इसका कोई महत्व नहीं था परन्तु लार्ड डलहोजी ने इस प्रथा को गैर घोषित करके इस प्रथा पर रोक लगा दी। लार्ड डलहोजी के आने से पहले भारत में 3 प्रकार थे :-


  1. सवतंत्र राज्य :- जिनका राज्यो का कंपनी के साथ कोई भी सम्बन्ध नहीं था।
  2. मित्र राज्य :- जिनसे कंपनी केवल विदेशी मामलो के बारे में सहयोग करती थी।
  3. आश्रित राज्य :- वह राज्य जो पूरी तरह कंपनी पर निर्भर थे।


लैप्स की नीति तीनो राज्यों पर लागु नही होती थी. यह नीति उन पर लागु होती थी जो पूरी तरह अंग्रेजो पर आश्रित थे यदि उनके कोई भी संतान नहीं है तो उनके राज्य को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया जायेगा। अन्य राज्यों पर अंग्रेजो के सम्ब्न्धो पर निर्भर करता था। कंपनी उनको मान्यता दे या ना दे कंपनी की मर्जी होती थी। लार्ड डलहोजी ने गोद प्रथा को गैर घोषित करके इस प्रथा पर रोक लगा दी और इस पर आवशयक कदम उठाने का आदेश दिया।

लैप्स की नीति के द्वारा मिलाये गये राज्य

डलहौजी उग्र साम्राज्यवादी था और उसने पंजाब, पीगू तथा सिक्किम को उसने युद्ध के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल कर लिया था। लार्ड डलहोजी ने गोद प्रथा को गैर घोषित करके इस प्रथा पर रोक लगा दी और इस पर आवशयक कदम उठाये और इस प्रकार अंग्रेजी राज्य का विस्तार शुरू कर दिया :-

  1. सतारा :- डलहौजी की हड़प नीति का पहला निशाना सतारा था। सतारा के शासक की कोई भी संतान नहीं थी इस प्रकार उसने पुत्र गोद लेने के लिए कंपनी के पास एक पत्र लिखा। लार्ड डलहोजी ने उसको मान्यता देने से इंकार कर दिया। सतारा के शासक की मृत्यु 1848 में हो गई। इस प्रकार 1848ई में सतारा इस नीति के द्वारा अंग्रेजी राज्य में मिलाया गया। सतारा भारत का पहला राज्य था जो सबसे पहले अंग्रेजी राज्य का हिसा बना।
  2. संभलपुर :- संभलपुर वर्तमान में उड़ीसा का क्षेत्र (Area) है। यह पहले भोसले की रियासत का हिस्सा होती थी। 1849 ई. में सम्भलपुर राज्य का शासक नारायण सिंह नि:संतान मर गया। बाद में यहा की रानी ने पुत्र लेने की बजाय स्वय ही शासन की बागडोर अपने हाथो में ले ली। परन्तु डलहौजी ने सिंहासन पर रानी के अधिकार को अस्वीकृत कर दिया और इस प्रकार लार्ड डलहोजी ने इसको रानी के जीते जी इस राज्य को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया .
  3. जैतपुर :- जैतपुर वर्तमान में आगरा के नजदीक का क्षेत्र है। जैतपुर के शासक की मृत्यु 1849 में हो गई। जैतपुर के शासक की कोई भी संतान नहीं थी। इस प्रकार उसने पुत्र गोद लेने के लिए कंपनी के पास एक पत्र लिखा। लार्ड डलहोजी ने उसको मान्यता देने से इंकार कर दिया। इस प्रकार लार्ड डलहोजी ने जैतपुर को 1849 में अंग्रेजी राज्य का हिसा बना।
  4. उदयपुर :- उदयपुर के शासक पर अंग्रेजो ने ब्रिटिशकर्मियों की हत्या का आरोप लगाया गया ओर उनको जेल भेज दिया गया और उनके राज्य पर अंग्रेजो का प्रत्यक्ष शासन स्थापित हो गया इस प्रकार 1852 में उदयपुर पर भी अंग्रेजो के नियन्त्रण हो गया।
  5. नागपुर :- नागपुर के शासक राघो जी की कोई भी संतान नहीं थी इस प्रकार उसने पुत्र गोद लेने के लिए कंपनी के पास एक पत्र लिखा। कंपनी ने उसके पत्र पर उसकी मृत्यु तक कोई भी निर्णय नहीं लिया। इस प्रकार राजा की मृत्यु नि:संतान ही हो गई। बाद में रानी ने यशवन्त राव को गोद ले लिया परन्तु लार्ड डलहोजी ने उसको मान्यता देने से इंकार कर दिया। इस प्रकार लार्ड डलहोजी ने नागपुर को 1853 में अंग्रेजी राज्य का हिसा बना। यही नहीं,ब्रिटिश कंपनी ने शासक की सम्पत्ति भी नीलाम कर बेच दी।
  6. झाँसी :- झाँसी पहले पेशवा के राज्य का हिस्सा था। 1817 ई. में पेशवा ने झांसी का राज्य ब्रिटिश कम्पनी को दे दिया। कम्पनी ने झांसी के राजारामचंद्र के साथ एक संधि की और वचन दिया कि झांसी का राज्य राजा रामचंद्र और उसके उत्तराधिकारियों के अधिकार में वंशानुगत चलेगा। कंपनी ने अलग करके यंहा पर रामचन्द्र राव को यंहा का स्वतंत्र शासक बना दिया। बाद में उसके पोत्र की मृत्यु बिना पुत्र गोद लिए हो गई। राव गंगाधर की 1853 में मृत्यु के बाद झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने आनद राव को गोद ले लिया। और कम्पनी ने उन्हें उसको गैर घोषित कर दिया। किन्तु 20 फरवरी 1854 ई. को डलहौजी ने यह निर्णय लिया कि झांसी का दत्तक पुत्र राज्य का अधिकारी नहीं हो सकता है।   और झाँसी को भी अंग्रेजी राज्य का हिन्सा बना लिया गया।
लॉर्ड डलहौजी ने भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवादी नीति के अंतर्गत गोद-प्रथा निषेध की नीति या हड़प नीति को अपनाया। इस प्रकार डलहोजी ने कंपनी का भारत में प्रत्यक्ष शासन स्थापित हो गया। लार्ड डलहोजी ने करौली को भी अंग्रेजी राज्य मिलाने का प्रयास किया परन्तु कंपनी के संचालक मंडल के कारण इसमें असफल हो गया। इस प्रकार हम कह सकते है कि लार्ड डलहोजी का मुख्य ध्यान अपने साम्राज्य की सीमा का विस्तार और कंपनी को सर्वोच्च करना था। डलहौजी कीहड़प नीति अनैतिकता और स्वार्थ से परिपूर्ण थी। उसके दुष्परिणाम के फलस्वरूप ही 1857 ई. में भारतमें अंग्रेजों को एक विशाल क्रान्ति देखना पड़ी जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर कर दी।

दोस्तों अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो आप इसे शेयर करे और किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए कमेंट करें और हमें फालो कर ले ताकि आपको हमारी हर पोस्ट की खबर मिलती रहे।

Post a Comment