स्वतंत्रता की रक्षा कैसे करें?

स्वतंत्रता की रक्षा कैसे करें?

स्वतंत्रता इंसान का जमादरू अधिकार है। मानव जीवन में स्वतंत्रता का इतना महत्व है कि इसके अस्तित्व के बिना व्यक्ति का विकास संभव नहीं है। समाज में रहने वाले लोगों को कानून द्वारा नियमित स्वतंत्रता ही प्राप्त होती है।

किसी व्यक्ति के विकास के लिए, इस स्वतंत्रता के अधिकारों के रूप में चाहे नियमित कानून द्वारा प्रदान की जाती है, लेकिन फिर भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, निम्नलिखित रक्षा कवच की विवस्था होनी चाहिए।

  1. लोकतांत्रिक शासन प्राणाली - लोकतांत्रिक ही एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसमें व्यक्ति की स्वतंत्रता अधिक सुरक्षित हो सकती है निरंकुश राजतंत्र (Absolute Monarchy), कुलीनतंत्र (Aristocracy), तानाशाही (Dictatorship) में व्यक्ति की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखना संभव नहीं है, क्योंकि ऐसे शासनों में व्यक्ति का जीवन शासकों की दया पर भी निर्भर करता है। लोकतंत्र में व्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिक सुरक्षित होना इस करके संभव हो जाता है क्योंकि लोकतंत्र में, केवल जनता के अपने चुने हुए प्रतिनिधि ही पूरे शासन का प्रबंध करते हैं, और शासन के संबंधी लोगों लिए जिम्मेदार भी होते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की स्थापना व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण रक्षा कवच है।
  2. मौलिक अधिकारों की घोषणा - अधिकार उन सामाजिक सुविधाओं का नाम है जिनके बिना कोई व्यक्ति अपने जीवन का पूर्ण विकास नहीं कर सकता है। इस तरह के अधिकारों के माध्यम से व्यक्ति स्वतंत्रता का आनंद ले सकता है। इसलिए जनता की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि नागरिक के मौलिक अधिकारों का स्पष्ट रूप में संविधान में विवरण होना आवश्यक है ताकि व्यक्ति इन अधिकारों का पूर्ण लाभ उठा सके। मानव अधिकारों का केवल संविधान में वर्णन करना ही काफी नहीं है, बल्कि संवैधानिक उपचारों द्वारा, उन्हें सरकार के नजाइज दखल से इन को सुरक्षित रखना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि ऐसा नहीं होता है, तो सरकार अपनी इच्छा के अनुसार व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती रहेगी।
  3. कानून का शासन - स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका केवल व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा तब ही कर सकती है, यदि किसी निरंकुश तानाशाही या सम्राट के शासन की बजाय कानून का शासन होगा। 'कानून के शासन' का अर्थ है कि कानून का सर्व उच्च है और शासन का संचालन किसी भी व्यक्ति या संस्था की इच्छा अनुसार नहीं किया जाता, बल्कि शासन प्रबंध कानून के प्रावधानों के अनुसार चलाया जाता है। सभी को कानून की दृष्टी में बराबर माना जाता है और कानूनी पक्ष से जन्म, धर्म, जाति, रंग, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। किसी व्यक्ति को उसके अपराध के लिए तब तक दंडित नहीं किया जाएगा, जब तक कि एक निश्चित कानून में अदालत में उसका आरोप साबित नहीं हो जाता।
  4. विशेष अधिकारों की अनहोंद - स्वतंत्रता को समान रूप से सुरक्षित करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि किसी विशेष वर्ग के लोगों को कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं होना चाहिए। सभी अधिकार सभी व्यक्तियों को समान रूप से प्राप्त होने चाहिए। धर्म, जाति, नसल, भाषा, वंश आदि के आधार पर व्यक्तियों के पक्ष में या उनके खिलाफ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
  5. शक्तियों का पृथक्करण - प्रसिद्ध फ्रांसीसी विद्वान मांटेस्क्यू (Montesquieu) के अनुसार, "शक्तियों की पृथक्करण व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षित कवच है।" शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का अर्थ है कि सरकार की विधानिक, कार्यकारी और न्यायिक शक्तियाँ किसी व्यक्ति या संस्था को ना दी जाए, बल्कि ये शक्तियाँ तीन अलग-अलग संस्थाओं को दी जानी चाहिए। ये संस्थाएं एक दूसरे से पूरी तरह से स्वतंत्र न होन, लेकिन एक संस्था की शक्तियों को दूसरी संस्था की शक्तियों उपर रोकने का कार्य करना चाहिए। ऐसी स्थिति में, सरकार का कोई भी अंग निरंकुश नहीं बनेगा और न ही वह अपनी शक्तियों के दुरुपयोग करके व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नष्ट कर पाएगा।
  6. स्वतंत्र न्यायपालिका - स्वतंत्र न्यायपालिका का अर्थ न्यायपालिका है जो विधानपालिका और कार्यपालिका के अधीन नहीं है। यदि न्यायपालिका सरकार के किसी अन्य अंग के अधीन होगी, तो जजों के लिए स्वतंत्र न्याय संभव नहीं होगा। जज सरकार के अधीन काम करेंगे और सरकार के खिलाफ फैसला जजों के लिए एक कठिन समस्या होगी। 
  7. शक्तियों का विकेंद्रीकरण - स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए शासन की शक्तियों का विकेंद्रीकरण होना जरुरी है। यदि सरकार की पूरी ताकतें एक ही स्थान पर केंद्रित किया जाए, तो इसका अर्थ निरंकुश और अत्याचारी शासन से कम नहीं होगा। इसलिए स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए किसी एक व्यक्ति या संस्था के पास केंद्रित न किया जाए, बल्कि जहाँ तक संभव हो सके शक्तियों को केंद्र सरकार, प्रांतीय सरकारों और स्थानीय संस्थाओं में विभाजित किया जाना चाहिए। प्रो लास्की ने सही कहा है, कि राज्य में शक्ति जितनी ज्यादा विस्तार से विभाजित होगी, उतना अधिक उसका विकेंद्रीकृत सरूप होगा, लोगों के बीच उनकी स्वतंत्रता के लिए उतना ही ज्यादा उतशाह होने की संभावना है।
  8. स्वतंत्र और ईमानदार प्रेस - व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, यह भी महत्वपूर्ण है कि लोगों को अधिकतम राजनीतिक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिले। वर्तमान लोकतंत्र की सफलता के लिए राजनीतिक शिक्षा ही जागरूक नागरिक पैदा कर सकती है। राजनीतिक शिक्षा की प्राप्ति का सर्व उत्तम साधन स्वतंत्र और ईमानदार प्रेस है। वर्तमान युग के नागरिक को अपने देश और दुनिया भर में होने वाली घटनाओं के बारे में सही जानकारी केवल स्वतंत्र और ईमानदार अखबारे, रसाले दे सकते है। यदि प्रेस स्वतंत्र और ईमानदार नहीं है, तो व्यक्ति स्वतंत्रता के अपने अधिकार का आनंद लेने में सक्षम नहीं हो सकता है।
  9. संगठित राजनीतिक दल - यदि कोई राजनीतिक दल सैद्धांतिक आधार पर ठीक से संगठित नहीं है, तो वह व्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा में योगदान नहीं दे सकता। संगठित राजनीतिक दल ही उचित ढंग से शासन कर सकते हैं या वे विपक्षी दलों के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा कर सकते हैं। संगठित राजनीतिक दलों की अनहोंद के कारण व्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है। इसलिए, वर्तमान युग में राज्य में न केवल राजनीतिक दलों का होना काफी नहीं है, बल्कि उनका सैद्धांतिक आधार पर ठीक रूप से संगठित होना भी आवश्यक है।
  10. अनन्त सतर्कता (Eternal Vigilance) - व्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अनन्त सतर्कता सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है। यह सही कहा गया है कि "अनन्त सतर्कता स्वतंत्रता की कीमत है" (Eternal Vigilance is the price of liberty)। आलसी या अचेत व्यक्ति अपनी की स्वतंत्रता की रक्षा करने में सक्षम नहीं हो सकते। हालांकि संविधान में व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए हर प्रकार के रक्षा-कवच अंकित किये जाए, तब भी स्वतंत्रता की उस समय तक सुरक्षित नहीं जा सकती, जब तक कि नागरिक इसे सुरक्षित रखने के लिए स्वयं जागरूक न हों।
  11. संविधान - संविधान में सरकार की शक्तियों को लिखकर सरकार पर रोक लगाई जा सकती है। इसीलिए आधुनिक राज्यों के संविधान को लिखती रूप दिया गया है ताकि सरकार की शक्तियों को स्पष्ट वर्णन किया जा सके। सरकार को अपना काम संविधान के अनुसार करना चाहिए।
  12. राजनीतिक शिक्षा - स्वतंत्रता की रक्षा के लिए जनता के पास राजनीतिक शिक्षा होनी जरूरी है। राजनीतिक शिक्षा के साथ, मनुष्य को अपने अधिकारों और स्वतंत्रता का ज्ञान होता है, और इसके साथ वह मानव शासन में अधिक रुचि रखता है। बिना किसी राजनीतिक शिक्षा के स्वतंत्रता की रक्षा करना बहुत मुश्किल है।
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निष्कर्ष

स्वंतंत्रता की रक्षा संबंधी अनेक रक्षा कवचो (Safeguards) का अध्ययन करने के बाद, हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि जहाँ तक संभव हो उपरोक्त रक्षा-कवच प्रत्येक लोकतांत्रिक देश में अपनाया जाना चाहिए। दरअसल, लोकतंत्र की सफलता इन सुरक्षा कवच पर निर्भर है। यह सब केवल तभी संभव हो सकता है जब लोगों के अंदर स्वतंत्रता की सच्ची धारणा हो और वह अपनी स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के चाहवान होन। यदि लोगों में स्वतंत्रता की सच्ची लालसा है, तो शासक लोगों की स्वतंत्रता को नष्ट करने का जोखिम नहीं उठा सकते।

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