प्रकृति पर कुछ कविताएँ - Poem on Nature in Hindi
प्रकृति, एक मां की तरह बिना कुछ मांगे ही, हमारी सभी जरूरतों को पूरा ख्याल रखती है। प्रकृति से ही हमें हवा, जल, फल, सब्जियां, जड़ी बूटियां और जीवन जीने के लिए सभी प्रकार की वस्तुएं में उपलब्ध करवाती है।लेकिन दुःख इस बात का है कि व्यक्ति अपनी सफलता के नशे में प्रकृति का विनाश करता जा रहा है जिसके चलते भविष्य में संकट गहरा सकता है। हमें प्रकृति को बचाना होगा नहीं तो इस धरती पर जीवन भी नहीं बचेंगा।
इसीलिए प्रकृति को बचाने के लिए हमने कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है। अगर हमें भविष्य को सुंदर बनाना है तो प्रकृति का संरक्षण जरूरी है।
Poem on Nature in Hindi
कुदरत
हे भगवान् तेरी बनाई यह धरती , कितनी ही सुन्दरनए – नए और तरह – तरह के
एक नही कितने ही अनेक रंग !
कोई गुलाबी कहता ,
तो कोई बैंगनी , तो कोई लाल
तपती गर्मी मैं
हे भगवान् , तुम्हारा चन्दन जैसे व्रिक्स
सीतल हवा बहाते
खुशी के त्यौहार पर
पूजा के वक़्त पर
हे भगवान् , तुम्हारा पीपल ही
तुम्हारा रूप बनता
तुम्हारे ही रंगो भरे पंछी
नील अम्बर को सुनेहरा बनाते
तेरे चौपाये किसान के साथी बनते
हे भगवान् तुम्हारी यह धरी बड़ी ही मीठी
Short Hindi Poems on Nature
सूरज निकला गगन में दूर हुआ अंधियारा,पेड़ों ने ली अंगड़ाई, ठंडी ठंडी हवा चलाई,
पक्षियों ने भी नभ में छलांग लगाई।
हरे-भरे बागानों में रंग बिरंगे फूल खिले,
फूलों ने अजब सी महक फैलाई,
तितली, भंवरों को वो खींच लाई।
रसपान कर फूलों का सबने मौज उड़ाई,
देख प्रकृति की सुंदरता को,
कोयल भी धीमे-धीमे गुनगुनाए।
रंग बदलती प्रकृति हर पल मन को भाए,
नभ में कभी बादल तो कभी नीला आसमां हो जाए,
रूप तेरा देख कर हर कोई मन मोहित हो जाए।
झील, नदियां मीठा जल पिलाएं,
पर्वत हमें ऊंचाई को छुना सिखाएं,
प्रकृति हमें सब से प्रेम करना सिखाए।
रात के अंधियारे में चांद भी अपनी कला दिखाएं,
सफेद रोशनी से प्रकृति को रोशन कर जाए,
तारे भी टिमटिमा कर नाच दिखाएं।
प्रकृति हमें रूप अनेक दिखाती,
एक दूसरे से प्रेम करना सिखाती,
यही हमें जीवन का हर रंग बतलाती।
– नरेंद्र वर्मा
Hindi Kavita on Nature
हरी हरी खेतों में बरस रही है बूंदे,खुशी खुशी से आया है सावन,
भर गया खुशियों से मेरा आंगन।
ऐसा लग रहा है जैसे मन की कलियां खिल गई,
ऐसा आया है बसंत,
लेकर फूलों की महक का जशन।
धूप से प्यासे मेरे तन को,
बूंदों ने भी ऐसी अंगड़ाई,
उछल कूद रहा है मेरा तन मन,
लगता है मैं हूं एक दामन।
यह संसार है कितना सुंदर,
लेकिन लोग नहीं हैं उतने अकलमंद,
यही है एक निवेदन,
मत करो प्रकृति का शोषण।
– अज्ञात
Poem on Nature in Hindi
बसंत का मौसम -
है महका हुआ गुलाबखिला हुआ कंवल है,
हर दिल मे है उमंगे
हर लब पे ग़ज़ल है,
ठंडी-शीतल बहे ब्यार
मौसम गया बदल है,
हर डाल ओढ़ा नई चादर
हर कली गई मचल है,
प्रकृति भी हर्षित हुआ जो
हुआ बसंत का आगमन है,
चूजों ने भरी उड़ान जो
गये पर नये निकल है,
है हर गाँव मे कौतूहल
हर दिल गया मचल है,
चखेंगे स्वाद नये अनाज का
पक गये जो फसल है,
त्यौहारों का है मौसम
शादियों का अब लगन है,
लिए पिया मिलन की आस
सज रही “दुल्हन” है,
है महका हुआ गुलाब
खिला हुआ कंवल है…!!
Poem Based on Nature in Hindi
बागो में जब बहार आने लगेकोयल अपना गीत सुनाने लगे
कलियों में निखार छाने लगे
भँवरे जब उन पर मंडराने लगे
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया !!
खेतो में फसल पकने लगे
खेत खलिहान लहलाने लगे
डाली पे फूल मुस्काने लगे
चारो और खुशबु फैलाने लगे
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया !!
आमो पे बौर जब आने लगे
पुष्प मधु से भर जाने लगे
भीनी भीनी सुगंध आने लगे
तितलियाँ उनपे मंडराने लगे
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया !!
सरसो पे पीले पुष्प दिखने लगे
वृक्षों में नई कोंपले खिलने लगे
प्रकृति सौंदर्य छटा बिखरने लगे
वायु भी सुहानी जब बहने लगे
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया !!
धूप जब मीठी लगने लगे
सर्दी कुछ कम लगने लगे
मौसम में बहार आने लगे
ऋतु दिल को लुभाने लगे
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया !!
चाँद भी जब खिड़की से झाकने लगे
चुनरी सितारों की झिलमिलाने लगे
योवन जब फाग गीत गुनगुनाने लगे
चेहरों पर रंग अबीर गुलाल छाने लगे
मान लेना वसंत आ गया… रंग बसंती छा गया !!
Poem on Nature in Hindi
अगर पेड़ भी चलते होतेकितने मजे हमारे होते
जहां कहीं भी धूप सताती
उसके नीचे बैठ सुस्ताते
बांध तने में उसके रस्सी
चाहे जहां कहीं ले जाते
लगती जब भी भूख अचानक
तोड़ मधुर फल उसके खाते
आती कीचड़ बाढ़ कहीं तो
झट उसके ऊपर चढ़ जाते
जब कभी वर्षा हो जाती
उसके नीचे हम छिप जाते
अगर पेड़ भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते
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