समाज क्या हैं समाज की परिभाषा और विशेषताएं

समाज - मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के बिना मनुष्य के जीवन का कोई महत्व नहीं है। व्यक्ति जो कुछ भी बनना चाहता है वह समाज के वातावरण में ही बन सकता है। दरअसल, समाज एक प्राकृतिक संस्था है, जिस पर व्यक्ति का अस्तित्व और विकास निर्भर करता है। यदि यह कहा जाए कि समाज मानव जाति की सुरक्षा और विकास का मूल आधार है तो इसमें कोई अतिकथनी नहीं होगी। मानव जाति में सर्वश्रेष्ठ संस्था की परिभाषाओं और विशेषताओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:-
समाज क्या है परिभाषा और विशेषताएं

समाज की परिभाषा

आम तौर पर, सामाजिक शब्द का उपयोग ठीक से नहीं किया जाता है। कई बार हम किसे समुदाय या संघ के लिए समाज शब्द का उपयोग करने में संकोच नहीं करता है, उदाहरण के लिए, भारतीय युवा समाज, आर्य समाज, साधु समाज आदि। वास्तव में यह सभी समुदाय हैं और इनके साथ सामज शब्द का उपयोग करना गलत है, समाज एक बहुत बड़ा संगठन है जिसमें प्रत्येक समुदाय, संघ और संप्रदाय आते हैं।

समाज की परिभाषा - समाज की परिभाषा को विभिन्न लेखकों द्वारा उनकी विचारधारा के अनुसार परिभाषित किया गया है। उन में से कुछ समाज की कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार हैं :-

  • डॉ जेंक्स के अनुसार, मनुष्य के मित्रता पूरन या कम से कम शांतिपूर्ण संबंधों का नाम समाज है।
  • प्रसिद्ध विद्वान मैकाईवर के अनुसार, "मनुष्य के आपसी स्वैच्छिक संबंधो का नाम समाज है।
  • समनर और कैलर के अनुसार, 'समाज उन लोगों का एक समूह है जो आजीविका के लिए एक साथ रहते हैं और मानव जाति की स्थिरता के लिए एक दुसरे के साथ मिल कर रहते हैं?
  • प्लेटो के अनुसार, समाज व्यक्ति का स्पष्ट रूप है। 
  • गिडिंग के अनुसार, समाज ऐसे लोगों का समूह है जो सामाजिक कल्याण के उद्देश्यों की पूर्ति का समर्थन करते हैं।
  • लीकांक के अनुसार, समाज मानव के सभी प्रकार के संबंधों और कई सामूहिक गतिविधियों का अभास करता है। 

इन सभी परिभाषाओं की समीक्षा करने के बाद, हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि समाज लोगों का एक बहुत बड़ा समूह है जिसमें मनुष्यों के कई समुदाय, संप्रदाय और संस्थाएँ भी आती हैं। मानव अपने सामाजिक हित और अन्य हितों को पूरा करने के लिए कई संस्थाएं बनाता है। ये सभी संस्थाएं समाज का हिस्सा हैं। संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि समाज उन समुदायों, संप्रदायों और संस्थाओं का एक समूह है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने सामाजिक हितों को पूरा करता है और जो अपने आपसी संबंधों को नियंत्रित करता है।

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समाज की विशेषताएं

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर, निम्नलिखित विशेषताएं समुदाय में होनी चाहिए।

  1. लोगों का समूह - समाज की मुख्य विशेषता लोगों का समूह है। लोगों के समूह के बिना, समाज के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मनुष्य स्वाभाविक रूप से सामाजिक प्राणी हैं और समाज में रहना उनके लिए स्वाभाविक है। मानव के स्वभाव के अलावा, मानव की आवश्यकताएं इतनी अधिक जटिल हो गई हैं कि कोई भी व्यक्ति निजी प्रयासों द्वारा उनहे पूरा नहीं सकता है। इस कारण से यह कहा जाता है, मानव का स्वभाव मनुष्य को समाज में रहने के लिए प्रेरित करता है और मनुष्य की आवश्यकताएं उसे समाज में रहने के लिए मजबूर करती हैं। 
  2. पारस्परिक सहयोग - यदि लोगों के समूह में आपसी सहयोग की कमी है, तो उस समूह को समाज नहीं कहा जा सकता है। यदि लोगों का आपस मे बीच कोई संबंध नहीं है और सभी लोग निवेेेकले तौर पर रहते हैं, तो वे लोगों का समूह समाज का निरमाण नही सकते हैं। व्यक्तियों का आपसी सहयोग समाज की प्रमुख विशेषता है। लोगों के किसे समूह को समाज तब कहा जा सकता है, जेकर उन में आपसी सहयोग ओर मेल-जोल है। समाज में रहने वाले लोग चाहे विभिन्न जातियों और धर्मों के हों, उनके बीच आपसी सहयोग और एकता का होना जरूरी है।
  3. सांझे उद्देश्य - समाज का निर्माण किसी व्यक्ति या वर्ग के विशेष उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि मानव जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है। समाज के लोगों के उद्देश्यों को साझे नहीं हो सकते, लेकिन व्यक्ति की सामान्य आवश्यकताएं समान हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, खाने के लिए भोजन, पहनने के लिए कपड़े और रहने के लिए मकान हर व्यक्ति के लिए बुनियादी और महत्वपूर्ण आवश्यकताएं हैं। समाज किसी व्यक्ति विशेष के उद्देश्य को पूरा करने की कोशिश नहीं करता, बल्कि पूरे समाज की समस्याओं को हल करने का प्रयास करता है। समुदाय में रहने वाले लोगों के उद्देश्य सांझे होने चाहिए अगर ऐसा नहीं होता है, तो समाज का खेरू खेेेरू होना बिल्कुल स्वाभाविक है। 
  4. भाईचारे की भावना - समुदाय में रहने वाले लोग विभिन्न जातियों या धर्मों के हो सकते हैं, लेकिन उनमें भाईचारे की भावना का होना जरूरी है। यदि व्यक्ति में ऐसी कोई भावना नहीं है, तो प्रत्येक व्यक्ति स्वार्थ के लिए सामाजिक हितों को नष्ट कर देगा। वास्तव में, प्रत्येक सामाजिक हित ही हर मनुष्य का सच्चा हित होता है, और इसकी प्राप्ति लिए हर मनुष्य के अन्दर भाईचारे की भावना होना जरूरी है।
  5. शांतिपूर्ण वातावरण - समाज के निर्माण के लिए शांतिपूर्ण वातावरण का होना महत्वपूर्ण है। इसी कारण, डॉ जेंकस ने शांतिपूर्ण वातावरण को समाज का एक आवश्यक तत्व माना है। यदि समाज में शांतिपूर्ण वातावरण नहीं होगा, तो समाज का उद्देश्य की पूरती असंभव है।
  6. संगठन - समाज का एक उच्च विशेेषता इसका संगठन है। केवल भीड़ को ही समाज नहीं जा सकता। समाज के लिए व्यक्तियो में किसी न किसी प्रकार का संगठन होना चाहिए। 
  7. इच्छुक मैंबरशिप - समाज की एक अन्य विशेषता यह है कि इसकी मैंबरशिप इच्छुक है। व्यक्ति किसी भी दबाव के कारण समाज में नहीं रहता है, लेकिन वह अपनी सामाजिक जरूरतों के कारण समाज में रहता है।
  8. रीति रिवाज - समाज में रहने वाले लोगों के रीति-रिवाज होते  हैं, जो लोगों में समाज रूप से रहने की भावना पैदा करते हैं।
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