समानता के प्रकार, रूप या आयाम

समानता की भिन्न-भिन्न प्रकारों के संबंधी विद्वानों के भिन्न-भिन्न विचार हैं। इन विद्वानों के विचारों के आधार पर समानता को निम्नलिखित रूपों में बांट सकते हैं -
  1. प्राकृतिक समानता (Natural Equality)
  2. सामाजिक समानता (Social Equality)
  3. नागरिक समानता (Civil Equality)
  4. राजनीतिक समानता (Political Equality)
  5. आर्थिक समानता (Economic Equality)

1. प्राकृतिक समानता (Natural Equality) - कुदरती समानता का अर्थ यह है कि कुदरत ने सभी मनुष्यों को सम्मान पैदा किया है। दरअसल कुदरती समानता की यह विचारधारा ठीक नहीं है क्योंकि कुदरत ने किसी भी दो व्यक्तियों को शारीरिक या मानसिक पक्ष से समान नहीं बनाया। सभी व्यक्तियों में एक जैसे ही शारीरिक शक्ति, एक जैसी ही बौद्धिक शक्ति, एक जैसी रुचियां, एक जैसी योग्यताएं, एक जैसी शारीरिक बनतर नहीं है। बल्कि प्रत्येक व्यक्ति हर पक्ष से दूसरे से अलग है।

2. सामाजिक समानता (Social Equality) - सामाजिक समानता का अर्थ है कि समाज के सभी व्यक्तियों को सामाजिक दृष्टिकोण से समान समझा जाना चाहिए। किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति, रंग, नस्ल, लिंग या सामाजिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए और न ही किसी व्यक्ति को इनमें से किसी आधार के कारण समाज में कोई विशेष महत्व मिलना चाहिए। सभी व्यक्ति समाज के समान रूप से लाभकारी अंग हैं और समाज की दृष्टि में कोई भी एक दूसरे से घटिया नहीं है। समाज में सब की स्थिति समान है और सभी को समान कानूनी अधिकार प्राप्त हैं। जिस समाज में जन्म, जाति, रंग, नस्ल, धर्म आदि के आधार पर भेदभाव किया जाता है, उस समाज में समाजिक समानता का होना असंभव है।

3. नागरिक समानता (Civil Equality) - नागरिक समानता का दूसरा नाम कानूनी समानता है। इसका मतलब यह है कि सभी व्यक्तियों को नागरिक अधिकार समान रूप में मिलने चाहिए। जीवन का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, घूमने का अधिकार आदि नागरिक अधिकार हैं। इस तरह के अधिकार सभी व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से दिए जाने चाहिए। इसका दूसरा अर्थ यह है कि कानून की दृष्टि में ऊच-नीच, अमीर - गरीब, गोरे - काले, आदि सभी व्यक्ति समान हैं। कानून जाति, धर्म, रंग, लिंग के आधार पर किसी भी आरोपी के साथ कोई भेदभाव नहीं करता है। वास्तव में नागरिकता समानता तभी स्थापित की हो सकती है जब कोई व्यक्ति या श्रेणी का नहीं, बल्कि कानून का शासन (Rule of Law) हो।

4. राजनीतिक समानता (Political Equality) - राजनीतिक समानता का अर्थ यह है कि सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होन। वोट देने, चुनाव लडने, सरकार की आलोचना करना, याचिका का अधिकार (Right to Petition) आदि राजनीतिक अधिकार है। यदि यह अधिकार सभी नागरिकों को समानता के आधार पर प्रदान नहीं किये जाते, बल्कि जाति, रंग, लिंग, सामाजिक स्थिति, शिक्षा या संपत्ति आदि के आधार पर भेदभाव किया जाता है, तो यह राजनीतिक समानता की निंदा है। जिस देश में राजनीतिक अधिकारों को सभी नागरिकों को समान रूप में नहीं दिए जाते हैं, वहां राजनीतिक समानता स्थापित नहीं हो सकती।

5. आर्थिक समानता (Economic Equality) - कुछ लोग आर्थिक समानता का अर्थ यह मानते हैं कि सभी लोगों के पास समान धन और संपत्ति हो। आर्थिक समानता का यह विचार सही नहीं है, क्योंकि समान रूप से सभी व्यक्तियों के पास धन या संपत्ति होना असंभव है। आर्थिक समानता का भाव वास्तव में, यह है कि समाज में रहने वाले विभिन्न लोगों की आर्थिक स्थिति में बहुत कम परस्पर अंतर हो और किसी भी व्यक्ति को कमजोर वर्गों के लोगों की आर्थिक लूट करने की अनुमति न हो। उत्पादन के साधनों, कुछ व्यक्तियों के हाथों में, इकट्ठे न हो। देश के भौतिक साधनों का उपयोग ऐसे तरीके से किया जाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों का कल्याण हो सके। सरल शब्दों में, समाज में रहने वाले सभी लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी होनी चाहिए और किसी व्यक्ति को जरूरत से अधिक धन या संपत्ति एकत्र करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
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निष्कर्ष (Conclusion)

समानता के विभिन्न रूपों के अध्ययन करने पर हमें पता चलता है कि किसी व्यक्ति के बहुआयामी विकास के लिए सभी प्रकार की समानता की आवश्यकता होती है। निवेकले रूप से, न तो राजनीतिक समानता और न ही सामाजिक समानता किसी व्यक्ति के लिए सहायक सिद्ध हो सकती है क्योंकि यह समानताएँ आर्थिक समानता के बिना बेकार हैं। नागरिक समानता का कोई अर्थ नहीं रहता अगर लोगों को राजनीतिक समानता प्राप्त न हो। इसलिए समानता के आदर्श को वास्तविक रूप देने के लिए सभी प्रकार की समानता व्यक्ति को प्राप्त होनी चाहिए।

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