एकात्मक सरकार का अर्थ, परिभाषा और विशेषताएं

एकात्मक सरकार का अर्थ - आधुनिक समय में सरकार का संगठन संघीय (Federal) या एकात्मक (Unitary) आधार पर किया जाता है। वर्तमान राज्य की जनसंख्या और क्षेत्रफल इतना विशाल हो गया है कि राज्य को शासन की सुविधा के लिए राज्य को कई इकाइयों में विभाजित किया गया है, जिन्हें प्रांत कहा जाता है। सरकारों में इन इकाइयों का क्या संबंध है? इन संबंधों के आधार पर, सरकार के दो भाग - एकात्मक और संघीय माना जाता है। यदि प्रांतीय सरकारें अपनी इच्छानुसार शासन करने के लिए स्वतंत्र हैं और केंद्र सरकार उन्हें उनकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं कर सकती है, तो सरकार का रूप संघीय है। इसके विपरीत, यदि प्रांतीय सरकारें केंद्र सरकार के पूर्ण नियंत्रण में होती हैं और प्रांतीय सरकारें केवल केंद्र के आदेशों पर काम करती हैं, तो यह सरकार का एकात्मक रूप है।

एकात्मक सरकार का अर्थ, परिभाषा और विशेषताएं

एकात्मक सरकार की परिभाषाएं

एकात्मक सरकार की परिभाषा (Definition of Unitary Government) - डॉ फाइनर (Finer) के अनुसार, 'एकात्मक सरकार वह प्रणाली है जिसमें सभी शक्तियां केवल एक केंद्र को सौंपी जाए और समूचे क्षेत्र में उस केंद्र की इच्छा और उसके अधिकारी कानूनी पक्ष से सर्वशक्तिमान हो।

विलोवी (Willoughby) के अनुसार, एकात्मक सरकार वह प्रणाली है जिसमें पहले सभी शक्तियां एक केंद्र सरकार को प्रदान की जाएं और वह सरकार जैसे उचित समझे, इन शक्तियों की प्रदेशों में वांट करे और इस मामले में पूरी तरह से स्वतंत्र हो।

डॉ गार्नर (Garner) के अनुसार, "जब सरकार की सभी शक्तियाँ संविधान द्वारा केवल केंद्रीय अंग और अंगों को दी जाए, जिसके साथ स्थानीय सरकारें अपनी शक्तियों और स्वतंत्रता और अपनी संप्रभुता प्राप्त करती हैं, तो वहां एकात्मक सरकार होती है। 

एकात्मक सरकार की विशेषताएं या लक्षण

उपरोक्त दी गई परिभाषाओं के आधार पर, एकात्मक सरकार की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

  1. एकल शासन (Single Administration)
  2. सरकार की शक्तियों की अनुपस्थिति (No division of Powers)
  3. केंद्र सरकार द्वारा इकाइयां स्थापित की जाती हैं (Units are established by the Central Government)
  4. एकल नागरिकता (Single Citizenship)
  5. लिखित या अलिखित संविधान (Written or unwritten Constitution)
  6. कठोर या लचीला संविधान (Rigid or flexible Constitution)
  7. न्यायपालिका की सर्वोच्चता आवश्यक नहीं है (Supremacy of Judiciary is not essential) 

1. एकल शासन (Single Administration) - एकात्मक सरकार की एक एकल शासन प्रणाली होती है। इसका मतलब है कि एक ही सर्वशक्तिमान केंद्र सरकार होगी, एक ही विधायिका और एक कार्यकारी होगी। प्रांतों के लिए अलग-अलग सरकारें और अलग-अलग संविधान नहीं होंगे। इंग्लैंड, जापान और चीन में एकात्मक सरकार है।

2. सरकार की शक्तियों की अनुपस्थिति (No division of Powers) - सरकार की इस प्रणाली में सभी शक्तियाँ एक ही केंद्र सरकार में निहित हैं और अलग-अलग स्वतंत्र प्रांत मौजूद नहीं होते। इसलिए, इस प्रणाली के तहत केंद्र और प्रांतों के बीच शक्ति का कोई विभाजन नहीं होता।

3. केंद्र सरकार द्वारा इकाइयां स्थापित की जाती हैं (Units are established by the Central Government) - प्रशासन की सुविधा के लिए, केंद्र सरकार देश को कुछ इकाइयों या प्रांतों में विभाजित कर सकती है। केंद्र सरकार द्वारा इन इकाइयों के अधिकारियों में प्रशासनिक शक्तियां दी जाती हैं और केंद्र सरकार किसी भी समय इन्हें कम या बढ़ा सकती है। केंद्र सरकार चाहे तो उन इकाइयों को भी समाप्त कर सकती है।

4. एकल नागरिकता (Single Citizenship) - जहाँ एकात्मक सरकार है, वहाँ संघीय राज्यों की तरह कोई दोहरी नागरिकता नहीं होगी, लेकिन इंग्लैंड, जापान और फ्रांस की तरह सभी नागरिकों के लिए समान नागरिकता होगी।

5. लिखित या अलिखित संविधान (Written or unwritten Constitution) - जहां एकात्मक सरकार है वहां संविधान लिखित और अलिखित दोनों हो सकते हैं। जैसे इंग्लैंड में एक एकात्मक सरकार है और संविधान अलिखित है और फ्रांस में भी एकात्मक सरकार है, लेकिन संविधान लिखित है।

6. कठोर या लचीला संविधान (Rigid or flexible Constitution) - एकात्मक सरकार में, संविधान कठोर और लचीला दोनों हो सकता है। जिस तरह इंग्लैंड का संविधान लचीला है, लेकिन फ्रांस का संविधान कुछ कठोर है।

7. न्यायपालिका की सर्वोच्चता आवश्यक नहीं है (Supremacy of Judiciary is not essential) - एकात्मक प्रणाली में न्यायपालिका का सर्वोच्च होना और न्यायिक समीक्षा की शक्ति का होना आवश्यक नहीं है। इंग्लैंड, एकात्मक राज्य है लेकिन उसकी न्यायपालिका को न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्राप्त नहीं है। दूसरे शब्दों में, संसद द्वारा पास किए कानूनों को वहां की न्यायपालिका द्वारा रद्द नहीं जा सकता है।

संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि सरकार की एकात्मक प्रणाली में सारी शक्ति केंद्र सरकार के पास होती है।  शक्तियों को केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों के बीच विभाजित नहीं किया जाता है। प्रशासन को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रांत या इकाइयाँ बनाई जा सकती हैं, लेकिन इन इकाइयों का अस्तित्व संविधान द्वारा नहीं बनाया गया है, बल्कि केंद्र सरकार अपनी इच्छा के अनुसार इन इकाइयों को अपनी मर्ज़ी से बनाती और खत्म कर सकती है। इन इकाइयों के पास कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं होती है और इन्हें जो भी अधिकार प्राप्त होते हैं, वे केंद्र से ही प्राप्त होते हैं, जिसे केंद्र सरकार किसी भी समय वापस ले सकती है।

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