राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ और परिभाषा

राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ और परिभाषा
आधुनिक काल के राज्यों में विभिन्न धर्मों, जातियों और संस्कृतियों के कई लोग रहते हैं। राष्ट्रीय एकीकरण की अधिक आवश्यकता उन राज्यों में महसूस की जाती है जहां जनसंख्या में धार्मिक, भाषाई, जाति या नस्ल और क्षेत्रीय अंतर पाए जाते हैं। एक देश में रहने वाले विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच राष्ट्रवाद की भावना या एक ही राष्ट्र से संबंधित विकास होन की भावना राष्ट्रीय एकता की धारणा का मुख्य उद्देश्य है। मायरन वीनर (Myron Weiner) का विचार है कि "राष्ट्रीय एकीकरण की अवधारणा का अर्थ क्षेत्रीय राष्ट्रवाद की भावना को विकसित करना है जो अन्य वर्ग की वफादारी को समाप्त करती है या उन छोटी वफादारीयो से श्रेष्ठ होती है।"

भारत के दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. एस. एस राधा कृष्णन (Dr. S. Radha Krishanan) के अनुसार, “राष्ट्रीय एकीकरण कोई मकान नहीं है जिसे मसाले और ईंटों से बनाया जा सकता हो। यह एक औद्योगिक योजना भी नहीं है जिसे विशेषज्ञों द्वारा विचार किया और लागु किया जा सकता हो।  इसके विपरीत, एकीकरण एक विचार है जिसका निवास लोगों के दिलों में होना चाहिए। यह एक चेतना है जो बड़े पैमाने पर जागरूकता बढ़ाती है।

एच. ऐ. गनी (H.A. Gani) के अनुसार, "राष्ट्रीय एकीकरण एक सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और शैक्षणिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से लोगों के दिलों में एकता, एकजुटता और सद्भाव की भावना विकसित होती है और उनमें साझी नागरिकता या राष्ट्र के प्रति वफादारी की भावना पैदा होती है।"

संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ लोगों की सामाजिक, धार्मिक, भाषाई, क्षेत्रीय और सांस्कृतिक भिन्नता को बनाए रखते हुए समुचे लोगों में एक ही राष्ट्र से संबंधित होने की भावना, साँझी नागरिकता और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावनि और वफादारी विकसित करना। 'भिन्नताओं में एकता' (Unity in Diversity) विकसित करने की प्रक्रिया राष्ट्रीय एकीकरण का सार है।

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