भारत के दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. एस. एस राधा कृष्णन (Dr. S. Radha Krishanan) के अनुसार, “राष्ट्रीय एकीकरण कोई मकान नहीं है जिसे मसाले और ईंटों से बनाया जा सकता हो। यह एक औद्योगिक योजना भी नहीं है जिसे विशेषज्ञों द्वारा विचार किया और लागु किया जा सकता हो। इसके विपरीत, एकीकरण एक विचार है जिसका निवास लोगों के दिलों में होना चाहिए। यह एक चेतना है जो बड़े पैमाने पर जागरूकता बढ़ाती है।
एच. ऐ. गनी (H.A. Gani) के अनुसार, "राष्ट्रीय एकीकरण एक सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और शैक्षणिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से लोगों के दिलों में एकता, एकजुटता और सद्भाव की भावना विकसित होती है और उनमें साझी नागरिकता या राष्ट्र के प्रति वफादारी की भावना पैदा होती है।"
संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ लोगों की सामाजिक, धार्मिक, भाषाई, क्षेत्रीय और सांस्कृतिक भिन्नता को बनाए रखते हुए समुचे लोगों में एक ही राष्ट्र से संबंधित होने की भावना, साँझी नागरिकता और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावनि और वफादारी विकसित करना। 'भिन्नताओं में एकता' (Unity in Diversity) विकसित करने की प्रक्रिया राष्ट्रीय एकीकरण का सार है।
दोस्तों अगर आपको हमारी जानकारी अच्छी लगी तो आप इसे शेयर करे और किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए कमेंट करें और हमें फालो कर ले ताकि आपको हमारी हर पोस्ट की खबर मिलती रहे।
एक टिप्पणी भेजें