संविधान की परिभाषा और महत्व

संविधान का महत्व (Importance of Constitution) - वर्तमान युग के लिए प्रत्येक राज्य के लिए संविधान का होना महत्वपूर्ण है। वर्तमान युग में संविधान के बिना एक अच्छा प्रशासन स्थापित करना संभव नहीं है। वर्तमान  समय में शासकों का संचालन शासकों की इच्छाओं और भावनाओं के अनुसार नहीं किया जाता, बल्कि प्रशासन का प्रबंध निश्चित नियमों और कानूनों के अनुसार किया जाता है। संवैधानिक सरकार कुछ व्यक्तियों की सरकार नहीं होती, बल्कि यह कानूनों की सरकार होती है। वर्तमान लोकतांत्रिक युग में प्रतेक राज्य में संविधान के अस्तित्व को इसकी एक महत्वपूर्ण विशेषता माना जाता है। संविधान ऐसे मौलिक नियमों और सिद्धांतों का एक समूह है जिनके अनुसार शासन प्रबंध किया जाता हैं। वर्तमान लोकतांत्रिक युग में संविधान के बिना किसी देश के प्रशासन को संचालित करना लगभग असंभव है। प्रोफेसर जैलीनेक (Jellinek) ने सही कहा हैं, "संविधान के बिना राज्य, राज्य  नही बल्कि अराजकता का शासन होगा।
संविधान का महत्व और परिभाषा

संविधान की उपस्थिति निरंकुश शासक की बेलगाम शक्तियों पर एक लगातार रोक होती है। यदि संविधान किसी निश्चित रूप में नहीं होगा तो शासक अपनी मनमानी करेंगे और नागरिक के अधिकार और स्वतंत्रता शासक के पर रहम पर निर्भर होना होंगी। इसलिए जनता के अधिकार और स्वतंत्रताओं को सुरक्षित करने के लिए शासक को मनमानी करने से रोकने के लिए प्रशासन का प्रबंध कुशलतापूर्वक जनता की इच्छा अनुसार चलाने के लिए संविधान का होना बहुत जरूरी है।

संविधान की परिभाषा (Definition of the Constitution) - संविधान की परिभाषा विभिन्न विद्वानों ने अपनी-अपनी विचारधारा अनुसार दी है। इनमें से कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार हैं:-

वुलजे (Woolsey) के अनुसार, "संविधान उन नियमों का समूह है जिसमें सरकार की शक्तियाँ, प्रजा के अधिकारों और इन दोनों के आपसी संबंधों को निश्चित किया जाता हैं।

कूले (Cooley) के अनुसार, "संविधान नियमों और परंपराओं का एक समूह है जिसके द्वारा संप्रभुता की शक्तियों की स्वाभाविक रूप से उपयोग किया जाता है।

डाईसी (Dicey) की राय में, 'उन सभी नियमों के समूह को जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राज्य शक्ति को विभाजित और उपयोग किया जाता है, राज्य का संविधान कहा जाता है।

लॉर्ड ब्राइस (Lord Bryce) के अनुसार, "संविधान में वे कानून या नियम शामिल होते हैं जिनके द्वारा सरकार का रूप और नागरिकों की तरह इसके अधिकारों और कर्तव्यों और इसकी तरह नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को निश्चित किया जाता है।

गैटल (Gettel) के कथन के अनुसार, "संविधान नियमों का समूह है जिसके द्वारा सरकार और उसके नागरिकों के बीच कानूनी संबंध तय किए जाते हैं और जिसके अनुसार राज्य की शक्ति का उपयोग किया जाता है।

हैरलड जे. लास्की (Harld J. Laski) की राय में, "नियम के उस हिस्से को संविधान कहा जाता है जिसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि (1) ऐसे नियम कैसे बनाए जाएं, (ii) किस विधि के अनुसार परिवर्तन किये जाएं और (iii) उन्हें कौन बनाएगा।

गिलक्राइस्ट (Gilchrist) के कथन के अनुसार, "राज्य का संविधान लिखित या अलिखित कानूनों या नियमों का वह समूह है, जो सरकार के संगठन, सरकार के विभिन्न अंगों में शक्तियों का विभाजित और ऐसे साधारण सिद्धांत निश्चित करता है जिनके आधार पर शक्तियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

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उपर्युक्त अलग-अलग परिभाषाओं में चााहे अलग-अलग शब्दों का उपयोग किया गया है, लेकिन परिभाषाएं समान हैं। इन सभी परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि संविधान लिखित कानूनों और अलिखित परंपराओं का एक समूह है, जिस अनुसार सरकार का रूप, विभिन्न अंगों की संरचना, उनकी शक्तियां और कार्य, राज्य और लोगों के बीच संबंध, नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य आदि निश्चित किये जाते है।

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