राज्य की विशेषताएं या तथ्य और सबसे महत्वपूर्ण तत्व

राज्य की परिभाषाओं के आधार पर, हम कह सकते हैं कि राज्य के लिए चार तत्व आवश्यक हैं। यदि इनमें से कोई एक भी तत्व न हो, तो बाकी तीन तत्व राज्य का निर्माण नहीं कर सकते हैं। यह तत्व निम्नलिखित अनुसार है -

राज्य के तत्व

  1. जनसंख्या (Population)
  2. निश्चित क्षेत्र (Fixed Territory)
  3. सरकार (Government)
  4. संप्रभुता (Sovereignty)
  • आंतरिक संप्रभुता (Internal Sovereignty)
  • बाहरी संप्रभुता (External Sovereignty)

इन तत्वों की विस्तृत व्याख्या इस प्रकार है:-

1. जनसंख्या (Population) - राज्य का आवश्यक मानव तत्व (Human Element) है। इसके बिना राज्य की स्थापना की कल्पना करना कल्पना नहीं की जा सकती। यहा सवाल उठता है कि राज्य की स्थापना के लिए कितनी जनसंख्या का होना आवश्यक है। वास्तव में राज्य की जनसंख्या निश्चित नहीं की जा सकती। आधुनिक युग में बड़ी जनसंख्या वाले राज्य भी है, जैसे कि चीन की जनसंख्या 139 करोड़ से अधिक है, भारत की जनसंख्या 135 करोड़ से अधिक है और संयुक्त राज्य अमेरिका 33 करोड़ के करीब है। जहां इतनी ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य है, वहां कम जनसंख्या वाले भी राज्य हैं जैसे कि मोनारको (Monaco) की आबादी 38 हजार और सानमैरीनो (San-Marino) की आबादी लगभग 33 हजार है, चाहे राज्य की आबादी की कोई निश्चित सीमा नहीं है। लेकिन लोगों के जीवन को आरामदायक बनाने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि राज्य की जनसंख्या ना तो बहुत अधिक होनी चाहिए और न ही बहुत कम होनी चाहिए। राज्य की आबादी  विकास के संसाधनों (Development Resources) के अनुपात में होगी, तो लोगों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा और समाज का बहुपक्षीय विकास आसानी से होगा।

2. निर्धारित भूमि या क्षेत्र (Fixed Territory) - राज्य के लिए निश्चित भूमि का होना आवश्यक है, जो लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं वे राज्य का निर्माण नहीं कर सकते हैं। उनका चाहे कोई शासक भी होता है, रस्मो रिवाज भी होते हैं, लेकिन उन्हें राज्य नहीं कहा जा सकता है जब तक कि वे एक निश्चित भूमि पर न बस गए हों।

राज्य की स्थापना के लिए कितनी भूमि की आवश्यकता है? इस बारे में कोई निश्चित नियम नहीं है। प्लेटो और अरस्तू दोनों एक छोटे राज्य के समर्थक थे। इसी तरह, फ्रांसीसी लेखक रूसो भी छोटे राज्य के पक्ष में थे। प्रश्न यह उकता है कि राज्य के निर्माण के लिए कितनी भूमि की आवश्यकता है? हम इस बारे कोई सीमा निर्धारित नहीं कर सकते हैं क्योंकि संसार में बड़े बडे राज्य भी हैं और उनके साथ बहुत छोटे राज्य भी हैं। जैसा कि रूस का क्षेत्र 86,00,000 वर्ग मील, अमेरिका का 36,15,222 वर्ग मील और भारत का 12,61,597 वर्ग मील है। इसी तरह, सानमैरीनो का क्षेत्रफल 90 वर्ग मील, मोनाको का क्षेत्रफल 50 वर्ग मील और नरोआ का क्षेत्रफल 40 वर्ग मील है।

समुद्र तट और वायु क्षेत्र भी भूमि में शामिल हैं - राज्य के निश्चित क्षेत्र में न केवल वहां कि भूमि ही शामिल नहीं, बल्कि साथ के समुद्री तट और राज्य ऊपर वायुमंडल भी शामिल होता हैं। जहां तक ​​समुद्री सीमाओं का संबंध है, विभिन्न राज्यों ने इस बारे में अलग-अलग नियम अपनाए हैं। कई राज्यों के अनुसार, यह समुद्र के किनारे से तीन मील की दूर, कुछ अन्य राज्यों के अनुसार 6 मील और कुछ इसको 12 मील तक मानते है। इन सीमाओं में प्रत्येक राज्य को अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है। इसी तरह, वायुमंडल की सीमाएं भी अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार तय कर लिए जाते है।

3. सरकार (Government) - किसी निश्चित छेत्र में रहते लोगों का समूह तब तक राज्य नहीं कहा सकता, जब तक उनकी कोई अपनी सरकार ना हो। सरकार ही एक ऐसा संगठन है जिस द्वारा राज्य की इच्छाओं को पूरा किया जा सकता है। किसे राज्य सरकार का कोई भी रूप हो सकता है। आजकल भिन्न देशों में सरकार के विभिन्न रूप हैं। जैसे भारत और इंग्लैंड में संसदीय सरकार है और अमेरिका में राष्ट्रपति सरकार। इसी तरह भारत में संघात्मक सरकार और इंग्लैंड में एकात्मक सरकार है। इसलिए हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि सरकार का चाहे कोई भी रूप हो लेकिन राज्य में सरकार का होना बहुत जरूरी है इसके बिना राज्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

4. संप्रभुता (Sovereignty) - संप्रभुता लैटिन भाषा के शब्द 'सुपरेनस' (Superanus) से लिया गया है, जिसका अर्थ सर्वोच्च सत्ता है। संप्रभुता राज्य का बहुत महत्वपूर्ण तत्व है।

संप्रभुता के दो प्रकार है -

आंतरिक संप्रभुता (Internal Sovereignty) - आंतरिक संप्रभुता के सिद्धांत का मतलब है कि राज्य अपने अंदर रहते सभी व्यक्तियों और संस्थानों से ऊपर है। और सभी के लिए राज्य की अनुमति का पालन करना आवश्यक है। जो व्यक्ति राज्य की अनुमति का पालन नहीं करता है, राज्य के पास उसे दंडित करने की शक्ति है।

बाहरी संप्रभुता (External Sovereignty) - इसी प्रकार बाहरी संप्रभुता का अर्थ बाहरी नियंत्रण से स्वतंत्रता है। यदि कोई राज्य दुसरे राज्य के अधीन हैं और वह बाहरी नियंत्रण से स्वतंत्र नहीं है, तो उसे राज्य नहीं कहा जा सकता। जिस राज्य के पास अपनी नीतियों का निर्माण करने की पुर्ण स्वतंत्रता होती है और जो राज्य किसी बाहरी ताकत या देश का कोई आदर्श अपनी इच्छा के विरुद्ध मानने के लिए पाबंद नहीं होता है उस राज्य के पास बाहरी संप्रभुता की अनुपस्थिति होती है।
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राज्य और समाज के बीच अंतर

राज्य के तत्वों में से सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है?

सभी तत्व आवश्यक हैं - यह प्रश्न अक्सर उठता है कि चार तत्वों में से कौन सा तत्व सबसे महत्वपूर्ण है। वास्तव इन सभी तत्वों की एक जैसी ही महत्ता है। जिस प्रकार मानव शरीर के हर अंग का अपना एक स्थान होता है और विभिन्न अंगों के पूरे समूह को मानव शरीर का नाम दिया जाता है। इसी तरह, राज्य के निर्माण के लिए, जनसंख्या, निश्चित भूमि, सरकार और संप्रभुता सभी तत्वों की आवश्यकता होती है और इन सभी तत्वों के समूह को राज्य का नाम दिया जाता है। जनसंख्या के बिना भूमि का कोई महत्व नहीं है और भूमि के बिना जनसंख्या बिल्कुल महत्वहीन है। इसी तरह, प्रभुताशाली सरकार के बिना, किसी भूमि पर जनसंख्या का कुशलतापूर्वक एक सुंदर वातावरण में रहना केवल एक कल्पना ही है। वास्तव में, इन चार तत्वों का महत्व समान है और प्रत्येक तत्व की आवश्यकता एक दूसरे पर निर्भर है। इस लिए संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि जनसंख्या, भूमि, सरकार और संप्रभुता राज्य के आवश्यक तत्वों में से हैं और इनमें से किसी भी तत्व को कम महत्वपूर्ण नहीं माना जा सकता है।

सबसे महत्वपूर्ण तत्व

राज्य के चार आवश्यक तत्व हैं और किसी भी तत्व को कम महत्वपूर्ण नहीं माना जा सकता है क्योंकि कोई भी अनुपस्थिति राज्य को नष्ट कर देगी। लेकिन, अगर महत्व के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो संप्रभुता सबसे महत्वपूर्ण है। इसके महत्व का मुख्य कारण यह है कि यह तत्व अन्य संगठन के पास नहीं हो सकता है, संप्रभुता केवल राज्य के पास ही हो सकती है। संप्रभुता के अधिक महत्वपूर्ण होने का दूसरा कारण यह है कि राज्य का यह तत्व राज्य को दूसरे समुदायों और संगठनों से भिन्न करता है। यह तत्व ही केवल राज्य को भौतिक वैध शक्ति (Physical Legitimate Coercive Power) प्रदान करता है। ऐसी शक्ति किसी अन्य संगठन के पास नहीं हो सकती। इस लिए हम कह सकते हैं कि राज्य के सभी चार तत्व आवश्यक हैं और कोई भी तत्व कम महत्वपूर्ण या गैर-आवश्यक नहीं है। लेकिन महत्ता के पक्ष से संप्रभुता सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।

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