एक अच्छे या आदर्श कानून की विशेषताएं

कानून का पालन तब तक होता रहेगा, जब तक वह कानून देश की कानूनी किताब या कानूनी दस्तावेज (Document) में दर्ज रहते हैं। यदि किसी कानून को कानून की किताब से कानूनी कार्यवाही से बाहर हो जाता है, तो इस तरह के कानून का पालन समाज में रहने वाले लोगों के लिए करना आवश्यक नहीं है। लेकिन जब तक वह कानून देश का कानून बना रहता हैं, तो उनका पालन करना आवश्यक है, भले ही उसकी व्यवस्थाओं ऊपर लोगों का विश्वास ना भी हों। एक अच्छी या आदर्श कानून में कुछ विशेष गुणों का होना महत्वपूर्ण है; वह गुण निम्नलिखित हैं: -
Features of a good or ideal law
  1. कानून का स्रोत संविधान के अनुसार (The Source of Law should be according to the Constitution) - आधुनिक लोकतंत्र युग में हर प्रकार की शासन प्रणाली में विधान-सभा की स्थापना जरूर की जाती है। विधान-सभा चाहे एक सदनी हो या दो सदनी, उस विधान-सभा को ही कानून बनाने की  शक्ति दी जाती है है। जहां तक ​​संभव हो, कानून का स्रोत विधानसभा ही होना चाहिए, क्योंकि इसमें जनता के प्रतिनिधि ही होते हैं और जनता के हितों के अनुसार ही कानून का निर्माण किया जाता है।
  2. लचीलापन (Flexibility) - कानून में लचीलापन का होना बहुत महत्वपूर्ण है। समय के साथ परिवर्तन से कई प्रकार के परिवर्तन मानव जीवन के हर पहलू में आ रहे हैं। कानून का उन परिवर्तनों के अनुसार होना जरूरी है। अगर उनमें कोई बदलाव नहीं होता तो उनकी अनुमति या लोगों द्वारा उनका स्वाभाविक अनुपालन कम हो जाएगा। कानूनों की स्वाभाविक पालन ना होने के कारण समाज में अशांति फैलने का डर रहता है।
  3. सरलता (Simplicity) - कानून की भाषा बहुत सरल होनी चाहिए, यह अस्पष्ट नहीं होनी चाहिए। दुनिया भर के लोग आज भारत की ओर देख रहे हैं कि भारत एक सकारात्मक पक्ष से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के अलावा, अपने कानूनों में सरलता कैसे ला रहा है। कानूनों में सरलता लोगों का प्रतिनिध ही ला सकते है। भारतीय लोकतंत्र इसी दिशा पर चलता है क्योंकि केंद्र और राज्यों में इन विधानसभाओं द्वारा कानून निर्माण किजा जाता है।
  4. व्यापकता (Comprehensiveness) - कानून विशाल रूप का होना चाहिए। कानून के कई पहलू हैं और इसके सभी पहलुओं को कानून में वर्णित जरूरी किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि कानून को समाज में रहने वाले सभी योग्य व्यक्तियों पर लागू होना जरुरी है। यदि कोई कानून भेदभाव की व्यवस्था करेगा और समाज के कई वर्गों को विशेष सेवाएं देगा और कई वर्गों को उन सुविधाओं से दूर रखने की कोशिश करेगा, तो उस कानून का स्वाभाविक अनुपालन कम होगा।
  5. कल्याणकारी प्रकृति (Welfare Nature) - कानून का अधिक कल्याणकारी रूप होगा, उतनी ज्यादा ही उसकी स्वाभाविक अनुपालन होगा। यदि कानून समाज के हितों के अनुसार कल्याणकारी प्रावधान करता है, तो कानून स्वाभाविक रूप से लोगों से आज्ञाकारिता प्राप्त करेगा। वर्तमान युग एक कल्याणकारी राज्य युग है। दूसरे शब्दों में, राज्य का उद्देश्य सभी लोगों का कल्याण करना है।
  6. जनमत के आधार पर (Based on Public Opinion) - हर देश के लोगों की एक विशेष राय है। इस राय के बहुमत का समर्थन आवश्यक नहीं है। इस तरह की राय की विशेषता जन कल्याण या लोक कल्याण है। जो कानून लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे कानूनो की पालना लोग और लोगों के समूह द्वारा स्वाभाविक रूप से होती हैं। कुछ लोगों को भ्रम है कि लोकमत, बहुमत की मत है, वास्तव में ऐसी स्थिति नहीं है। जोहन स्टुअर्ट जैसे विद्वानों का कहना है कि यदि कोई भारी बहुमत किसी भी सिद्धांत के खिलाफ है, लेकिन कुछ लोग उसका समर्थन करते हैं, तो वह मत लोकमत सकती है, क्योंकि यह आवश्यक नहीं है कि जिस तथ्य की पूर्ति बहुमत कर रहा है, वह बहुमत ही होता हैं। लोकमत के लिए कानून का जनहित में होना जरूरी है, भले ही जनहित को कुछ ही लोगों का समर्थन प्राप्त हो। बहुमत को लोकमत नहीं कहा जा सकता।
  7. नैतिक मूल्यों के आधार पर (Based on Ethikal Values) - प्रत्येक समाज में कुछ नैतिक मूल्य होते हैं। समाज की जनसंख्या में कई अंतर हो सकते हैं, लेकिन ऐसी कदरें - कीमतें लगभग सभी की मानसिकता को अच्छी लगती हैं। कोई भी सरकार समाज के नैतिक मूल्यों के खिलाफ कानून नहीं बनाती है। लेकिन अगर सत्ताधारी सरकार ऐसा करती है तो कानून की लोगों के द्वारा स्वाभविक पालना की उम्मीद नहीं होगी, बल्कि लोग ऐसे कानून की उल्लंघना करने के लिए क्ई प्रकार के प्रयास करेंगे और कई साधनों के द्वारा अपना रोष भी प्रकट करेंगे। ब्रिटिश सरकारों ने भारतीयों के लिए कई कानून बनाए हैं। लेकिन जो कानून लोगों की मानसिकता को अच्छे नहीं लगते थे, उन कानूनों की भारतीयों ने जमकर विरोध किया। इस संबंधी एक उदाहरण ही काफी है कि ब्रिटिश सरकार ने समुद्री नमक बनाने पर रोक लगा दी थी। उस कानून के खिलाफ महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में एक डांडी मार्च (Dandi March) हुई थी और देश लोगों ने उस कानूनों की खुलेआम उल्लंघना की थी। जगह-जगह पर नमक बनाया गया और आखिरकार ब्रिटिश सरकार को अपना कानूनी आदेश वापस लेना पड़ा।
  8. संक्षिप्तता (Brevity) - 'संक्षिप्तता विचारों के प्रगटावे की आत्मा होती है। “अपने विचारों को प्रगट करने के लिए अधिकतम हद तक के संक्षिप्तता के साधन को अपनाना जाना चाहिए। कानून संबंधी संक्षिप्तता का होना अच्छे कानून की विशेषताएं मानी जाती है, लेकिन बहुत अधिक संक्षिप्तता कानूनी प्रावधानों को स्पष्ट करने में सफल नहीं होती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि कानून के निर्माताओं को संक्षिप्तता उस सीमा तक उपयोग करनी चाहिए, जिस हद तक कानून की विभिन्न प्रावधानों की सही व्याख्या हो सका।
  9. स्थायित्व और लचीलेपन का मिश्रण (Mixture of Permanence and Flexibility) - हमने पहले ही कहा है कि कानून में लचीलेपन की आवश्यकता है ताकि कानूनी प्रावधानों को समय की मांगों के अनुरूप बनाया जा सके। लेकिन बहुत अधिक लचीलापन कानून के महत्व को भी नष्ट कर देता है, जब शासक अपने स्वार्थों के लिए कानून के लचीलेपन से लाभ उठाकर इसमें कई संशोधन कर देते हैं। लेकिन कानून स्थायी या स्थिर भी नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसे कानूनों में नई परिस्थितियों के अनुसार संशोधन नहीं किया जा सकता है। इसलिए यहां कह रहे हैं कि एक आदर्श कानून में स्थिरता और लचीलेपन का मिश्रण होना चाहिए।
  10. कानून का पालन कानूनों के डर के कारण नहीं, बल्कि लोगों की आत्म-इच्छा के अनुसार (Obedience of Law not because of the fear of law but because of the natural will of the people) - जिन कानूनों का पालन लोगों द्वारा इस लिए किया जाता है कि उन कानूनों के उल्लंघन के कारण उन्हें कड़ी सजा मिलेगी, लोगों की इच्छा या सवैमान कानून को स्वीकार नहीं करता, लेकिन दंड के डर के कारण लोग उस कानून का पालन करते रहते हैं। यह अच्छे कानून का गुण नहीं है। जो लोगों द्वारा स्वाभविक रूप से स्वीकार नहीं किया जाने वाले कानून देश की कानूनी पुस्तक में रखना क्रांति का साधन अपनाने के समान है। कानून स्वाभाविक रूप से लोगों द्वारा पालन किया जाना चाहिए, और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि कानून समाज की नैतिकता, लोकमत और लोगों की मानसिकता के अनुसार हो और कानून का निर्माण उनके प्रतिनिधियों द्वारा किया गया हो।
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निष्कर्ष (Conclusion)

अच्छे कानून के लिए सबसे आवश्यक विशेषताओं में से एक स्वाभाविक रूप से उसके लोगों द्वारा पालन करना है। यही कारण है कि अच्छा कानून वह है जो लोगों का स्वाभाविक पालन प्राप्त कर सके। यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि समाजिक कद्रो कीमतों के अनुकूल, जन कल्याण के उद्देश्यों वाले, जनता के प्रतिनिधियों के आधार पर बनाये कानून ही लोगों की स्वाभाविक पालन के वास्तविक पात्र होते हैं, और एक अच्छे कानून में उपर्युक्त विशेषताओं का वर्णित होना बहुत महत्वपूर्ण है।

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