6+ भारत देश पर कविताएँ - Poem on India in Hindi
Poem on India - यह देश हमारा है
यह देश हमारा है, हमारा है हमाराइस देश का कण कण हमें प्यारा हमें प्यारा
इस देश के इतिहास में
गौरव की कथाएँ
इस देश के बलिदान की
चलती हैं हवाएँ
इस देख का भूगोल है हम सबको सहारा
यह देश हमारा है, हमारा है हमारा
भंडार संपदा का
हर पर्वत यहाँ रहा
पानी नहीं नदियों में
जीवन यहाँ बहा
मोती उड़ेलता है यह सिंधु भी खारा
यह देश हमारा है, हमारा है हमारा
इस देश की संस्कृति
रही सौहार्द सनी है
संस्कृति सहिष्णुता के
विचारों से बनी है
दुनिया का भला हमने ही हरदम है विचारा
यह देश हमारा है, हमारा है हमारा
इस देश की मिट्टी में
धर्म फूले फले हैं
हम उँगलियाँ सभी की
थाम थाम चले हैं
यह देश रहा है सभी देशों का दुलारा
यह देश हमारा है, हमारा है हमारा
इस देश ने उपकार हैं
हम पर बहुत किए
हो कौल जिएँ या मरें
हम देश के लिए
हर साँस करे देश के गौरव का पसारा
यह देश हमारा है, हमारा है हमारा
– श्रीकृष्ण सरल
Poem on India - भारत गीत
जय जय प्यारा, जग से न्यारा,शोभित सारा, देश हमारा,
जगत-मुकुट, जगदीश दुलारा
जग-सौभाग्य सुदेश!
जय जय प्यारा भारत देश।
प्यारा देश, जय देशेश,
जय अशेष, सदस्य विशेष,
जहाँ न संभव अध का लेश,
केवल पुण्य प्रवेश।
जय जय प्यारा भारत देश।
स्वर्गिक शीश-फूल पृथ्वी का,
प्रेम मूल, प्रिय लोकत्रयी का,
सुललित प्रकृति नटी का टीका
ज्यों निशि का राकेश।
जय जय प्यारा भारत देश।
जय जय शुभ्र हिमाचल शृंगा
कलरव-निरत कलोलिनी गंगा
भानु प्रताप-चमत्कृत अंगा,
तेज पुंज तपवेश।
जय जय प्यारा भारत देश।
जगमें कोटि-कोटि जुग जीवें,
जीवन-सुलभ अमी-रस पीवे,
सुखद वितान सुकृत का सीवे,
रहे स्वतंत्र हमेश
जय जय प्यारा भारत देश।
– श्रीधर पाठक
Poem on India - हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
अम्मा हमारी 'मॉम' बन गयी,बाबूजी अब 'डैड' बन गये...
बेटा अब 'ग्रेजुएट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
इमली की चटनी 'सॉस' बन गयी,
बीवी घर की 'बॉस' बन गयी...
हर रिश्ता अब 'ट्रेड' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
पत्रकारिता 'बिजनेस' हो गयी,
खबरें भी 'शेमलेस' हो गयी...
दुराचारी अब 'हेड' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
संस्कृति अब 'कल्चर' हो गयी,
कानून व्यवस्था 'पंक्चर' हो गयी...
प्रधानमंत्री 'पपेट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
दिल्ली 'रेप कैपिटल' हो गयी,
समाज की छवि 'डल' हो गयी...
यौन संबंध 'सब्जेक्ट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
हिंदी अब 'गुमशुदा' हो गयी,
संस्कृत पुस्तक से 'जुदा' हो गयी...
इंगलिश 'कॉमन सब्जेक्ट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
सन्यासी अब 'ढोंगी' हो गये,
नेता कुर्सी के 'रोगी' हो गये...
बस्ता अब 'टेबलेट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
लता जी 'गुमनाम' हो गयी,
मुन्नी भी 'बदनाम' हो गयी...
भारत रत्न 'ऑब्जेक्ट' बन गया,
हमारा इंडिया 'ग्रेट' बन गया...
Poem on India - “भारत की जय हो”
लोकतंत्र संकल्प – सिद्ध हो,भारत जो जग में प्रसिद्द हो,
आलोकित पथ से चलने का-
निज दृढ़ निश्चय हो।
खंड – खंड यह देश नहीं हो,
खंडहर का अवशेष नहीं हो,
नहीं किसी को दिन – हीन-
होने का संशय हो।
रहे सुरक्षित देश हमारा,
सब विधि उन्नत सजा संवरा,
कहीं किसी को नहीं किसी का-
आपस में भय हो।
संस्कृतियों का संगम है यह,
कर्म – कर्म का उद्गम है यह,
विविध सभ्यता के रूपों में –
शोभा छविमय हो।
अपनी एक राष्ट्रभाषा हो,
जिसमें अपनी परिभाषा हो,
अपने काम सकें कर जिसमें-
प्रगति असंशय हो।
हिमगिरी – सा ऊंचा चरित्र हो,
गंगा-सा जीवन पवित्र हो,
सागर-सा गम्भीर भाव से –
छवि महिमामय हो।
भारत की जय हो।
– मोहनचंद्र मंटन
Poem on India - “मेरा भारत महान है”
मेरे देश की माटी ऐसी, जहां जन्म लेते भगवानमेरा भारत देश महान, मेरा भारत देश महान
जिसकी सुहानी सुबह है होती, होती सुनहरी शाम है
वीर बहादुर जन्मे जिसमें वही मेरा भारत महान है
भारत की माटी के पुतले लोहे के माने जाते हैं
गांधी, तिलक, बोस, नेहरू, इस नाम से जाने जाते हैं
फिर बने सोने की चिड़िया हम सबका है ये अरमान
मेरा भारत देश महान, मेरा भारत देश महान
Poem on India - “देश मेरा प्यारा”
देश मेरा प्यारा, दुनिया से न्याराधरती पे जैसे स्वर्ग उतारा।
ऊँचे पहाड़ों में फूलों की घाटी।
प्यारे पठारों में खनिजों की बाटी।
हरे-भरे खेतों में सरगम बजाएँ।
नदियों के पानी में चाहूँ मैं तरना।
मन ये गगन में उड़े रे।
ऐसे ये जी से जुड़े रे।
दूर मेरा देश ये गाँवों में बसता।
मुझको पुकारे है एक-एक रस्ता।
पैठा पवन मेरे पाँव में।
आना जी तू भी गाँव में।
देश मेरा प्यारा, दुनिया से न्यारा।
धरती पर जैसे स्वर्ग है।
जाँ भी इसे उत्सर्ग
~ अभिरंजन कुमार
भारत पर कविता - Poem on India - भारत माँ
हम भारतवासी भारत माँ के खातिर,मर जायेंगे, मिट जाएँगे।
बलिदान शहीदों का न व्यर्थ हो,
कुछ ऐसा कर जाएँगे।
जाति और धर्म की लड़ाई में,
स्वयं को न बटनें देंगें।
एकता और अखंडता का व्रत लेकर,
सबको एक बनाएँगे।
हम भारतवासी भारत माँ के खातिर,
मर जाएँगे, मिट जाएँगे।
कसम हमें इस मिट्टी की,
इसे चंदन सा महकाएँगे।
धूल नही ये पैरों की,
इसे माथे तिलक लगाएँगे।
हम भारतवासी भारत माँ के खातिर,
मर जाएँगे, मिट जाएँगे।
एक नवल स्वप्न पूरा करने को,
फिर से हम जुट जाएँगे।
विश्व के नव पटल पर,
एक नया 'भारत' बनाएँगे।
हम भारतवासी भारत माँ के खातिर,
मर जाएँगे, मिट जाएँगे।
---Written by- Nidhi Agarwal
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